होली आने वाली है और होली की तैयारी जोरो पर है। गुझिया और पकवान के रंगों का रंगीन वातावरण इस तरह से तैयर होता है कि सारे लोग होली की मस्ती में डूब जाते है। दोस्तो होली का त्योहार उन लोगो के लिए भी बहुत मायने रखती है जो घर से बाहर पढ़ने या रोजगार के लिए गए होते है। क्योंकि त्योहारो में घर पर आना और दोस्तो के साथ आनंद लेना इससे बड़ी खुशी और इतना अच्छा अवसर बहुत मुश्किल से मिलता है।
होली की शुरुआत कब हुई?
पुरातन काल में हिरण्यकश्यप नाम का एक राक्षस था । जिसे वरदान मिला था कि उसे न पृथ्वी पर मारा जा सकता है ना आकाश में , न दिन को न रात न मानव द्वारा न देवता द्वारा न दानव द्वारा और न ही किसी हथियार से उसकी मृत्यु सम्भव है। अतः उसे मृत्यु से भय नही लगता । यह तक कि देव राज इंद्रा भी उससे भयभीत रहते थे। उसका एक पुत्र था प्रहलाद और वो बहुत बड़े विष्णु भक्त थें। हिरणकश्यप के लाख समझाने पर भी प्रहलाद ने जब भगवान की भक्ति नही छोड़ी तो उसने अपनी बहन होलिका को बुलाया, होलिका को ये वरदान मिला था कि अग्नि से उसके शरीर पर कोई असर नही होगा । उसे इस बात पर घमंड था कि अग्नि उसका कुछ बिगड़ नही पाएगी। होलिका ने प्रहलाद को अपनी गोद मे बिठा कर लकड़ी के ढेर पर बैठ गयी बाद में उसमे आग लगा दी गयी।भक्त प्रह्लाद का अग्नि कुछ नही कर पाई परन्तु होलिका जल कर राख हो गयी।
इसी वजह से होलिका को बुराई का प्रतीक मानकर होली के एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है।
होली को भाईचारा और सौहार्द का प्रतीक भी माना जाता है।इस दिन सभी लोग मिलकर होली का हुड़दंग करते है।
होली की शुरुआत कब हुई?
पुरातन काल में हिरण्यकश्यप नाम का एक राक्षस था । जिसे वरदान मिला था कि उसे न पृथ्वी पर मारा जा सकता है ना आकाश में , न दिन को न रात न मानव द्वारा न देवता द्वारा न दानव द्वारा और न ही किसी हथियार से उसकी मृत्यु सम्भव है। अतः उसे मृत्यु से भय नही लगता । यह तक कि देव राज इंद्रा भी उससे भयभीत रहते थे। उसका एक पुत्र था प्रहलाद और वो बहुत बड़े विष्णु भक्त थें। हिरणकश्यप के लाख समझाने पर भी प्रहलाद ने जब भगवान की भक्ति नही छोड़ी तो उसने अपनी बहन होलिका को बुलाया, होलिका को ये वरदान मिला था कि अग्नि से उसके शरीर पर कोई असर नही होगा । उसे इस बात पर घमंड था कि अग्नि उसका कुछ बिगड़ नही पाएगी। होलिका ने प्रहलाद को अपनी गोद मे बिठा कर लकड़ी के ढेर पर बैठ गयी बाद में उसमे आग लगा दी गयी।भक्त प्रह्लाद का अग्नि कुछ नही कर पाई परन्तु होलिका जल कर राख हो गयी।
इसी वजह से होलिका को बुराई का प्रतीक मानकर होली के एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है।
होली को भाईचारा और सौहार्द का प्रतीक भी माना जाता है।इस दिन सभी लोग मिलकर होली का हुड़दंग करते है।
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